रासायनिक हथियार अभिसमय एक सार्वभौमिक गैर-भेदभावपूर्ण, बहुपक्षीय, निरस्त्रीकरण संधि है जो सभी रासायनिक हथियारों के विकास, उत्पादन, अधिग्रहण, हस्तांतरण, उपयोग और भंडारण पर प्रतिबंध लगाता है। यह संधि सभी सदस्य देशों को एक समान स्तर पर रखती है। जिन देशों के पास रासायनिक हथियारों का भंडार है, उनसे उन्हें एक निर्दिष्ट समय सीमा में घोषित करने और नष्ट करने की अपेक्षा की जाती है और जो ऐसे रसायनों का उत्पादन और उपयोग करते हैं जिन्हें आसानी से रासायनिक हथियारों में परिवर्तित किया जा सकता है, उन्हें इन रसायनों के उपयोग के बारे में खुला और पारदर्शी होना चाहिए। इस कन्वेंशन को 13 जनवरी, 1993 को पेरिस में हस्ताक्षर के लिए खोला गया।
भारत रासायनिक हथियार निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) के रासायनिक हथियार कन्वेंशन (सीडब्ल्यूसी) के लिए एक हस्ताक्षरकर्ता और पक्षकार हैं, जिसका मुख्यालय द हेग, नीदरलैंड में है।
भारत ने 14 जनवरी, 1993 को पेरिस में संधि पर हस्ताक्षर किए। इस अभिसमय के प्रावधानों के अनुसार, भारत ने रासायनिक हथियार अभिसमय अधिनियम, 2000 को अधिनियमित किया। आज की तारीख में, 193 देश इस अभिसयम के पक्षकार हैं।
रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग सीडब्ल्यूसी अधिनियम, 2000 का प्रशासनिक विभाग है। रासायनिक हथियार अभिसमय अधिनियम, 2000 देश में 1 जुलाई 2005 से प्रभावी है।
राष्ट्रीय रासायनिक हथियार अभिसमय प्राधिकरण (एनएसीडब्ल्यूसी) को रासायनिक हथियार अभिसमय के तहत दायित्वों को पूरा करने और अभिसमय से संबंधित मामलों पर रासायनिक हथियार निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) और अन्य पक्षकारों के साथ प्रभावी संपर्क के लिए राष्ट्रीय केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करने के लिए 1977 में भारत सरकार की ओर से कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार के एक कार्यालय के रूप में स्थापित किया गया।
अभिसमय के साथ संलग्न रसायनों की तीन अनुसूचियों को घोषित करने की आवश्यकता है और उन्हें निम्नानुसार दर्शाया गया है:
अनुसूची-1 रसायन (16 रसायन) (अर्थात रासायनिक हथियार);
अनुसूची-2 रसायन (14 रसायन) (अर्थात् रासायनिक हथियारों के प्रीकर्सर);
अनुसूची-3 रसायन (17 रसायन) (अर्थात् दोहरे उपयोग वाले रसायन)।