केंद्रीय पेट्रोरसायन अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सिपेट) जिसे पहले केंद्रीय प्लास्टिक अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सिपेट) के नाम से जाना जाता था, एक स्वायत्त संस्थान है, जिसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत वर्ष 1968 में स्थापित किया गया था।
सिपेट एक आईएसओ प्रमाणित संस्थान है जिसकी प्रयोगशालाएँ एनएबीएल और एनएबीसीबी से मान्यता प्राप्त हैं। यह संस्थान देश में पेट्रोरसायनों और संबद्ध उद्योगों के विकास के लिए कौशल विकास, प्रौद्योगिकी सहायता, शैक्षणिक और अनुसंधान (एसटीएआर) गतिविधियों के लिए समर्पित है, और रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अधीन कार्य कर रहा है।
वर्तमान में, सिपेट के देश भर में 45 केंद्र अर्थात 08 पेट्रोरसायन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईपीटी); 31 कौशल और तकनीकी सहायता केंद्र (सीएसटीएस); 03 उन्नत बहुलक अनुसंधान स्कूल (एसएआरपी), पलक्कड़, तमोट और पारादीप में 03 उप-केंद्र हैं। 04 और सीएसटीएस केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है।
सिपेट देश के विभिन्न हिस्सों में केंद्रों की स्थापना करके और उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नए कार्यक्रमों की शुरुआत करके अपनी गतिविधियों के विस्तार और विविधिकरण का कार्य कर रहा है। पेट्रोरसायन के क्षेत्र में इस संस्थान की सेवाओं के व्यापक विस्तार के परिणामस्वरूप, इसका नाम वीजन डॉक्यूमेंट 2024 के अनुसार, व्यापक पेट्रोरसायन उद्योग के लिए गतिविधियों, कार्यक्रमों और सेवाओं के विस्तारित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।
इस संस्थान की वेबसाइट को cipet.gov.in पर देखा जा सकता है।