मीनामाटा कन्वेंशन
भारत मरकरी पर मीनामाटा कन्वेंशन का एक पक्षकार है और उसने 18.06.2018 को कन्वेंशन की पुष्टि की। कन्वेंशन का अनुबंध ए 2020 तक निर्माण, आयात और निर्यात के लिए चरणबद्ध रूप से हटाए जाने वाले मरकरी एडेड उत्पादों की सूची और साथ ही अपवर्जन सूची और डेंटल अमलगम के उपयोग के लिए किए जाने वाले उपाय प्रदान करता है। कन्वेंशन का अनुबंध-ख उन निर्माण प्रक्रियाओं की सूची प्रदान करता है जिनमें मरकरी के यौगिकों का उपयोग उनके फेज आउट के लिए उसमें सूचीबद्ध समय-सीमा के अनुसार किया जाता है और वे प्रक्रियाएँ जिनके लिए पारा या मरकरी यौगिकों के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए पक्षकार द्वारा किए जाने वाले उपाय किए जाते हैं।
भारत ने 2020 की मौजूदा फेज-आउट तिथि से पांच साल (2025 तक) के लिए अनुबंध ए के भाग 1 में सूचीबद्ध पारा वर्धित उत्पादों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए छूट का अनुरोध दर्ज किया है। भारत ने 2018 की मौजूदा फेज-आउट तिथि से पांच साल (2023 तक) तक अनुबंध के भाग 1 में सूचीबद्ध एसीटलडीहाइड के उत्पादन के निर्माण प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने हेतु भी छूट का अनुरोध दर्ज किया है जिसका पारा या पारा यौगिकों को उत्प्रेरक के रूप में उपयोग किया जाता है।
यूरोपीय संघ, अफ्रीका क्षेत्र और कनाडा और स्विटज़रलैंड द्वारा मीनामाटा मरकरी कन्वेंशन के अनुबंध ए और बी में संशोधन के लिए प्रस्ताव किए गए थे।
रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग (डीसीपीसी) ने भारतीय उद्योग संघों से मरकरी पर मीनामाटा कन्वेंशन में प्रस्तावित संशोधनों पर टिप्पणियां/विचार/चिंताएं मांगी और एचएसएम डिवीजन, एमओईएफएंडसीसी को इसकी जानकारी दी, ताकि वे इसे तैयार करने और साझा करने में सक्षम हो सकें और विचार के लिए मीनामाटा कन्वेंशन के सचिवालय के साथ देश की स्थिति को साझाा कर सकें। संशोधन के इन प्रस्तावों पर 2022 की पहली तिमाही के दौरान आयोजित पक्षकारों के सम्मेलन (COP-4) की चौथी बैठक में विचार किया गया था।